भारतीय संविधान के स्रोत - Sources of Indian Constitution in hindi

भारतीय संविधान के स्रोत - Sources of Indian Constitution in hindi : भारत का सविधान बहुत ही मुश्किलों से निकल कर बना है| इस सविधान को पाने के लिए न जाने कितने ही लोगों ने क़ुरबानी दी है| उसके पश्चात 1946 में बहुत मुश्किलों के बाद एक सविधान सभा बनाने की परमिशन क्राउन से मिली और तब भारत आज़ाद हुवा 1947 में,

लेकिन सविधान सभा ने आज़ादी की घोषणा तो कर दी लेकिन शासन चलाने के लिए एक बहुत ही अच्छे सविधान की जरूरत थी| जिसे बनने में बहुत समय लगना था और खुद से तो इतना बढ़ा जटिल सविधान भारत वासियों से जल्द से जल्द लिखना मुश्किल था| 

सविधान सभा ने फिर देश विदेश के सविधान को देखा और भारत सविधान का निर्माण का कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक शाशन चलाने के लिए भारत सरकार अधिनियम 1935 को भारत में लागु किया| और  उसके साथ ही भारत पर शासन को शुरू किया|

भारतीय संविधान के स्रोत

अभी सवाल यह की भारतीय संविधान के स्रोत क्या थे - Sources of Indian Constitution in hindi तो आइए जानते है| कुछ मह्त्वपूण भारतीय संविधान के स्रोत के बारे में जिन से एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है|

भारतीय संविधान के स्रोत में मुख्य सत्रोत - Main Sources of Indian Constitution in hindi

भारतीय शासन अधिनियम, 1935 था आइए इसके बारे में जानते है - आपको बता दे की Sources of Indian Constitution in hindi ) भारतीय संविधान के स्रोत में सबसे मुख्य है भारतीय शासन अधिनियम, 1935 ही है।

भारतीय संविधान के स्रोत - Sources of Indian Constitution in hindi

भारतीय संविधान (Indian Constitution) के प्रावधानों का एक बहुत बड़ा हिस्सा भारतीय शासन अधिनियम, 1935 से भारत के लोगों के हिसाब से थोड़ा बहुत परिवर्तन करके वर्तमान सविधान में रख लिया था। क्यूंकि 1935 का अधिनियम अंग्रेजी शासन ने भारतीयों के लिए बनाया था लेकिन इसे और भी अधिक अच्छा बना था| 

अंग्रजी हुकूमत ने इसे अपने फ़ायदे के लिए लागु कर रखा था इसमें बहुत सी कमियाँ थी जिसे भारत के लोगों को भी गुलामी ही महसूस होती| इसलिए भारतीय शासन अधिनियम, 1935 का एक बहुत बड़ा हिससा सविधान में रखा लेकिन उसमे भी बदलाव किये|

भारतीय संविधान के स्रोत अन्य स्त्रोत - More Sources of Indian Constitution in hindi

हमारे भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें विश्व के कईं देशों से अलग-अलग और सर्वश्रेष्ठ कानूनी प्रावधान, नियम, व्यवस्थाएं और अधिकार शामिल किए गए हैं। डॉ भीमराव आंबेडकर भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष थे। 

उनके नेतृत्व में संविधान सभा के सदस्यों ने विभिन्न देशों के संविधानों को पढ़ा और उनकी प्रमुख प्रावधानों, नियमों और सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्थाओं को भारतीय संविधान में शामिल किया था। आजादी के बाद से इन सात दशकों में समय-समय पर वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार कई संशोधन भी किए गए। 

आइए जानते हैं कि संविधान से जुड़ीं प्रमुख व्यवस्थाओं और प्रावधानों के बारे में और जानते हैं कि उन्हें किस देश से है उनका नाता ... 

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

आपको जान कर हैरानी होगी की भारतीय संविधान में संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपातकाल, मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था को दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका के संविधान से लिया गया है।

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ब्रिटेन (Britain) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारत की संसदीय शासन प्रणाली ब्रिटेन से प्रेरित है। साथ ही संविधान में एकल नागरिकता, कानून निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, न्यायालय के विशेषाधिकार, संसदीय विशेषाधिकार और द्वि-सदनवाद को ब्रिटिश संविधान से लिया गया है। एकल नागरिकता के तहत भारतीय नागरिक किसी दूसरे देश की नागरिकता नहीं ले सकता है। 

जर्मनी (Germany) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारत के संविधान में आपातकाल के समय के अधिकारों के संबंध में प्रावधान यूरोपीय देश जर्मनी के संविधान से लिए गए हैं। इसमें आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति के पास मौलिक अधिकार के निलंबन संबंधी शक्तियां हैं। आपातकाल के समय मूलभूत अधिकारों में सरकार बदलाव कर सकती है। 

हालांकि, भारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बांटा गया है। इनमें अनुच्छेद-352 के तहत राष्ट्रीय आपात स्थिति, अनुच्छेद-356 के तहत राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता या राष्ट्रपति शासन की स्थिति और अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपात स्थिति के प्रावधान हैं।

दक्षिण अफ्रीका (South Africa) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में संविधान संशोधन की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान, राज्यसभा में सदस्यों का निर्वाचन प्रणाली आदि दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिए गए हैं। राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। 

विभिन्न राज्य विधानसभाओं में चुने गए विधायक अपने राज्य से राज्य सभा सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान करते हैं। 

आयरलैंड (Ireland) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में 12 सदस्यों का मनोनयन (साहित्य, कला, विज्ञान तथा सामाजिक सेवा आदि के क्षेत्र से सम्मानित व्यक्ति) जैसे प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिए गए है। 

भारतीय संविधान के भाग- 4 में शामिल राज्य के नीति निर्देशक तत्व संविधान को अनोखी विशिष्टता प्रदान करते हैं। अनुच्छेद-37 यह घोषणा करता है कि निर्देशक तत्व देश के शासन के मूल आधार हैं और कानून के निर्माण में इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा। 

ऑस्ट्रेलिया (Australia) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन, व्यापार-वाणिज्य और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आदि व्यवस्थाओं को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लेकर भारतीय संविधान में जोड़ा गया है। 

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में केवल एक ही बार संशोधन हुआ है। 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से इसमें संशोधन कर तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जोड़े गए थे। 

कनाडा (Canada) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में संघीय शासन व्यवस्था के प्रावधान, केंद्र के अधीन अतिविशिष्ट शक्तियां, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति और राष्ट्रपति का उच्चतम न्यायालय से परामर्श प्राप्त करने की व्यवस्था, यूनियन ऑफ स्टे्टस शब्द की अवधारणा आदि कनाडा के संविधान से लिए गए हैं। 

सोवियत संघ (Soviet Union) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों के प्रावधान, मूल कर्तव्यों और प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श तत्कालीन सोवियत संघ यानी रूस के संविधान से लिए गए हैं। 

भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को संतुलित करता है। आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान के भाग 4-ए में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया था।

जापान (Japan) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को जापान से लिया गया है। भारतीय संविधान विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का समावेश करके संसदीय संप्रभुता और न्यायिक सर्वोच्चता के स्वस्थ समन्वय को अपनाता है। विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया वह प्रक्रिया है| 

जिसमें यदि संसद प्रक्रिया के तहत कोई कानून बनाएं फिर वह कानून भले ही उचित हो या न हो, लागू होने के बाद मान्य होगा। हालांकि, संविधान में अनुच्छेद-21 की व्यापकता के अंतर्गत न्यायपालिका के कई मसलों पर विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया पर सम्यक प्रक्रिया यानी उसे कानून चुनौती देने को सर्वोच्चता दी है। 

फ्रांस (France) भारतीय संविधान के स्रोत में से एक 

भारतीय संविधान में गणतंत्रात्मक और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता, बंधुता के आदर्श का सिद्धांत फ्रांस से लिया गया है। गौरतलब है कि भारतीय संविधान में इन तीनों को लोकतंत्र की आत्मा के तौर पर परिभाषित किया गया है। इनके बिना किसी स्वतंत्रता की कप्लना नहीं की जा सकती।